Don’t Judge a book by its Cover
वीडियो का आभार: Youtube Don’t judge a book by its cover! बड़ी मशहूर अंग्रेज़ी की कहावत है।जाह्नवी पर यह बिल्कुल फ़िट बैठती है।बजाय लिंक शेयर करने के यह छोटा अंश डाउनलोड करके पेस्ट कर रहा हूँ।सबको देखना चाहिए।दो पहलुओं पर बात करता हूँ। पहला हमारे अम्बेडकरवादी मित्रों के लिए ख़ासकर, जिन्हें गांधी जी से ख़ासी दिक़्क़त है।जिसका कारण वो 'पूना पैक्ट' को चंद पंक्तियों में पढ़कर पूरा समझ लेते है; न उससे कम ना ज़्यादा। इसलिए उन्होंने गांधी-अम्बेडकर को हमेशा दो विपरीत ध्रुवों पर देखा या रखने की कोशिश की है। बतौर जाह्नवी के शब्दों में,"I think Ambedkar was still very clear and stern from the start what his stand was. But I think Gandhi's view kept evolving as he got more and more exposed to (casteism). ये जो जातिवाद का समस्या है हमारे समाज में, एक थर्ड पर्सन पॉइंट ऑफ़ व्यू से जानकारी लेना और उसमें जीना, उसमें बहुत फ़र्क़ है; बहुत अंतर है।" जायज़ है मेरी समझ सीमित है, क्योंकि इतिहास मेरा मूल विषय नहीं है।पर इन दो महान शख़्सियतों को ठीक-ठाक पढ़ा है।मेरे एक विद्वान मित्र ने