Rome wasn't built in a day

बीती रात 11:17 बजे व्हट्सएप पर मेरे एक पुराने छात्र का मैसेज आया, "सर बहुत दिनों से आपका लेख नहीं आया कोई। मेरी उम्र के युवाओं के लिए कुछ लिखिए जो एक दिशा में नहीं सोच पाते " नाम लिखना इसलिए लाज़िमी नहीं है क्योंकि ये एक छात्र की नहीं बल्कि हर उस मध्य आयुवर्ग की समस्या है जो अनेकों चीजों से एक साथ जूझ रहा है। इस आयु वर्ग (17 -25) में स्थायित्व यानि स्टेबिलिटी बहुत कम होती है। उम्र का तकाज़ा कहें या हार्मोनल डिस्बैलेंस , पारिवारिक जिरहें हो या फटाफट 'settle' होने की चाह , यौनिकता का प्रभाव हो या निजी सम्बन्धो की अस्थिरता... कारण एक नहीं कई ज्यादा है और व्यक्तित्व इन्ही का फ़लसफ़ा है। इस उम्र में दो चीजों का प्रभाव बहुत ज्यादा हावी होता है। पहला है घरवालों या समाज के अनुरूप अपने कैरियर की दिशा और दूसरा है अपने निजी सम्बन्ध। पहले का कारण सामाजिक दबाव है तो दूसरे का हार्मोनल बदलाव। एक बच्चे को पैदा होते ही पहली चीज विरासत में जबरदस्ती दी जाती है -उसकी पहचान , उसकी सामाजिक पहचान यानि उसकी जाति और धर्म और दूसरी उसक...