Pseudoscience will be New Science and Mythology will be History now!
चित्र साभार: इंटरनेट वर्तमान में विज्ञान और तर्क बेहद नाज़ुक हालातों के दौर से गुज़र रहे हैं, जिसके परिणाम प्रतिगामी होंगे और यह देश और युवाओं को कई साल पीछे ले जाएगा। AIPSN यानी ऑल इंडिया पीपल्स साइंस नेटवर्क ने देश के दो प्रतिष्ठित संस्थानों; आईआईटी मंडी और बीएचयू के हाल में अपने यहाँ बतौर, IKS( इण्डियन नॉलेज सिस्टम) के तहत् शामिल किए गये पुनर्जन्म( Reincarnation) और पारलौकिक अनुभव( Out of the body experiences) और भूतविद्या जैसे अवैज्ञानिक तर्कों के ज्ञान को अपने पाठ्यक्रम में 'अनिवार्य कोर्स' के रूप में शामिल किया है।AIPSN के अनुसार यह सारे छद्मविज्ञान( Pseudoscience) फैलाने वालों के लिए एक तरह का 'मुफ़्त भोज' सरीख़ा है। विश्व की शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची ( QS World University Ranking) में भारत का एक भी संस्थान शामिल नहीं है।मौजूदा हालातों के आधार पर तो यह भविष्य में हो भी नहीं पाएगा।ऐसा लगता है जैसे हमारे यहाँ की शीर्ष संस्थाएँ कितनी अवैज्ञानिक हो सकती है, इसकी प्रतिस्पर्धा चल रही है। पहले बीएचयू और आईआईटी मंडी! इसके कारण क्या है? कुछ कारण स्पष्ट तौर पर दिखते