Darma Valley to Narayan Ashram: A Journey to the End

कंच्योती तक के सफ़र को मेरे पुराने ब्लॉग- Closest to Himalaya: Panchachuli trek, में पढ़ा जा सकता है, उससे आगे का सफ़र, तफ़सील से यहाँ लिख रहा हूँ…इसकी भी गुज़ारिश कुछ मित्रों की थी,इसलिए… मेरी अकेली यात्रा में मिले दो बेहतरीन नौजवान…हिमांशु और सैंडी, जिनका मन लगभग वापसी का था अपनी अपनी मंज़िलों की तरफ़।और मैं अपने अधूरे सफ़र को पूरा करना चाहता था, नारायण आश्रम के लिए। तो पंचाचूली बेस फ़तह करने के बाद दुग्तू पहुँचकर, रात की सूखी रोटियाँ और हरी मिर्च के क़हर में तपी हुई मैगी हलक से नीचे उतारकर, हमारी मोटरसाइकिल तैयार थी वापसी के लिए। साथ में होमस्टे वाले प्रकाश भाई को भी साथ आना था वापस धारचूला की ओर। मोटरसाइकिल 3 और लोग 4 थे। हिमांशु भाई का बैग अपनी बाइक पर बांधकर, हिमांशु भाई की बाइक पर हो लिए प्रकाश भाई भी। क्योंकि हिमांशु भाई की बाइक 300cc की थी। होने को ये रास्ते बाइक में doubling के लिए बिल्कुल मुफ़ीद नहीं लगते मुझे।थोड़ा बहुत डर था कि, सूरज निकले क्योंकि 4 घंटे हो चुके थे तो कहीं नांगलिंग का कटा हुआ glacier सड़क पर आ ना गया हो, अगर ऐसा होता तो फिर फँसना तय था। ख़ैर, ह...