मानव और पर्यावरण का एक अद्भुत सहजीवन
Kalij Peasant हॉलीवुड की मशहूर फ़िल्म है-इंटरस्टेलर। शुरुआत में ही एक संवाद होता है प्रोफ़ेसर ब्रैण्ड और नायक के बीच-"We don’t need Engineers, we need Farmers" इन शब्दों के खेल की गहराई हम समझ पाए या नहीं, पर आज जब शहरों का तापमान दिन-ब-दिन नये रिकॉर्ड क़ायम कर रहा है तब लोगों की ज़ुबान पर स्वतः ही पर्यावरण और पारिस्थितिकी जैसे शब्द दस्तक देने लगे है। शहर लगातार कंक्रीट के जंगल में बदलते जा रहें है।किसी भी बड़े पहाड़ी शहर को किसी ऊँचाई के स्थान से देखिए, उसके बाद इसी का व्युत्क्रम किसी पहाड़ी गाँव में जाकर देखिए! मकानों और वृक्षों की संख्या एक दूसरे के विपरीत पायेंगे।साल दर साल यह हालात बद से बदतर होते जाएँगे।वृक्ष नहीं होंगे तो जैव-विविधता स्वतः ही नष्ट हो जायेगी, और इसका विपरीत भी उसी अनुपात में सच होता नज़र आएगा। सरकारों और पूँजीवादियों से अगर आप इस उम्मीद में हैं कि वो इसके लिए सोच रहे हैं या होंगे तो आप आप बड़ी गफ़लत में हैं।बड़े शहरों या महानगरों में एक कमरे में चार-चार एसी लगाकर पर्यावरण पर बातचीत करने वाले वैज्ञानिक, प्रोफ़ेसर्स या मंत्री बस काग़ज़ी पर्यावरणविद है