A Journey to Abbot Mount: A Haunted place in the dense Deodar Forests

हाल में मैंने जिस जगह को एक्सप्लोर किया गया वह है - Abbot Mount,लोहाघाट (चम्पावत )
उत्तराखंड के कुमाऊं में चम्पावत जिले की एक खूबसूरत जगह लोहाघाट से नज़दीक यह जगह जो कि अपनी ख़ूबसूरती और सुरम्यता के लिए जानी जानी चाहिए पर यह जानी जाती है social media द्वारा प्रचारित- Top Ten most haunted places in Uttarakhand…अगर गूगल पर इतना लिख दें तो फ़ेहरिस्त में इस जगह का नाम अव्वल पायेंगे।इसी वजह से इस जगह जाने की बड़ी ज़िद सी थी।आख़िरकार अपने व्यस्त समय की तीन दिन की छुट्टी का इससे बढ़िया उपयोग कहाँ कर सकते थे हम,मैं और डॉ0 सुन्दर कुमार। खूबसूरत प्लान हमेशा अचानक बनते है और हुआ भी यही और पहुंच गए हम दोनों इस डरावनी कही जाने वाली जगह में- Abbot Mount.
घने और ऊँचे देवदार के पेड़ों के बीच इस खूबसूरत जगह में घुमावदार रास्तों से जाने के बाद एक बड़े मैदान के बाद हम पहुंचे उस चर्च वाली जगह पर,जिसमे एक संगमरमर पर लिखा था- Dedicated to the memory of Mrs L.S.Abbot eracted by her husband 1942.

हर कोई शाहजहाँ हो जरुरी नहीं कोई Abbot भी हो सकता है.
ये जगह इतनी सुनसान है कि लोग अकेले जाने में कतराएंगे जरूर अगर उन्होंने पहले से कोई ऐसी डरावनी कहानी सुनी होगी तो! घने पेड़ों के बीच एक सुनसान जगह जहाँ पर हमने तो कोई पक्षी तक नहीं देखा जितना मुझे याद है। यहाँ पर मौजूद चर्च जो 1942 में बनाया गया John Herold Abbot द्वारा अपनी महरूम पत्नी Mrs L.S.Abbot की याद में, वैसे ताजमहल से कम खर्चे में चर्च बनाने का आइडिया भी बुरा तो नही था! उसी चर्च के बग़ल में है- Christian Graveyard जिसमें कुछ गिनी चुनी क़ब्रें है जिसमें दो लोग उपरोक्त वर्णित हैं। पहले सही रही होंगी पर अब टूट चुकी हैं Abbot की कब्र। बाज के घने जंगलों के बीच एक छोटी सी जगह में हैं ये 5 -6 कब्रें जिनके ऊपर ग्रेनाइट और संगमरमर में उन साहबों और मोहतरमाओं का परिचय लिखा है।

चर्च 

    वैसे तो हम दोनों को सिगरेट पीने में कोई दिलचस्पी है नहीं पर उस समय मूड हो रहा था कि एक सिगरेट भी होती तो दोनों उन कब्रों से बतियाते हुए कुछ कश तो खींच ही लेते!
आखिर जो सुकून ऐसी जगहों पर बैठकर महसूस होता है न वह मैंने और तो कहीं महसूस नहीं किया है। ज़िन्दगी और जिंदगानी के सबसे बढ़िया ख्याल ऐसी ही जगहों में बैठकर आते हैं जनाब ! वैसे भी निदा साहब ने कहा ही है- धूप में निकलो घटाओ में नहाकर देखो, ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो। इसलिए कभी कभी किताबो की दुनिया से दूर इस दुनिया में भी गुलज़ार होना चाहिए।

मुक्ति कोठरी 
वही से कुछ आगे जाने के बाद आती है वो जगह जिसे कहा जाता है- मुक्ति कोठरी( यह नाम Social media या लोक कथाओं द्वारा उद्धृत है या फिर सच में यही नाम था कह नही सकता!)वही मुक्ति कोठरी जहां एक डॉक्टर मुर्दों को मुक्ति दिलाता था. इसके बारे में वो कहानी काफी मशहूर है कि जो डॉक्टर उन मरीजों को खुद मार देता था जिनकी मृत्यु नजदीक थी और उन्ही मरीजों की वजह से ये जगह आज haunted कहलाती है।
आगे एक ख़ूबसूरत हवेली सी है जिसे देखते ही आपको पुरानी हिंदी फ़िल्मों की वो अमीरियत महसूस होती है,गोया हो भी क्यों ना वहाँ लिखा भी था- Private Property owned by…

    

    एक मजेदार किस्सा रहा वहां पर एक केयरटेकर दिखा हमें बिलकुल जैसा की सुनसान जगहों पर दिखते है हॉरर फिल्मों में, हम दोनों ने कहा भी कि हमारे इस कोठरी के एक चक्कर ,मारने के आने के बाद शायद यह आदमी यहाँ न दिखे! और हुआ भी वही वह वहां नहीं मिला हमें! किसी को डराने के लिए ये काफी होता है पर हम दोनों के अंदर अब डर जैसा कुछ बचा हैं नहीं था।
    
    
    उस हवेली के बाहर था एक प्यारा और खूबसूरत बगीचा जिसकी खूबसूरती बढ़ा रहे थे वो चिनार के पेड़ और उनकी सूखी पीली पत्तियां जो बरसात के पानी के ऊपर तैरकर उस पानी और उस जगह दोनों को और सुन्दर बना रही थी। हम लोग उस घास पर काफी देर बैठे और कुछ उम्दा फोटो लिए अपनी और हमारी उस रंगबिरंगी फ़िल्मी छाते की!

 हम दोनों गणित और भौतिकी के प्रोफेसर्स के लिए घूमना और नयी जगह देखना एक मोहब्बत सी बन गयी है अब। काफ़ी जगह घूमा हूँ,पर एक शहर के नज़दीक इतनी सुंदर और शांत जगह कम ही देखीं है।इसलिए अगर कभी मूड करे तो ये एक मक़बूल जगह होगी मेरी ओर से,जाने के लिए बस अपने उस ख़ौफ़ से दूरी रखें,जो लोगों और कहानियों से मिला है…क्योंकि वो बस अफ़वाह है कुछ नही। ये वहम हमने बनाएं, पाले हैं।

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