India at a trek!
पांच प्रयागो में से एक रुद्रप्रयाग (अलकनंदा और मन्दाकिनी का संगम ) से केदारनाथ हाईवे 109 पर पड़ता है; रुद्रप्रयाग से लगभग 40 किमी० कुण्ड जहाँ से आप राजमार्ग को छोड़ दें तो दायी और है उखीमठ -चोपता मार्ग। बस आपको इसी पर जाना है,आगे उखीमठ उससे थोड़ा आगे से बायीं और सारी गाँव जहाँ से शुरू होता है रास्ता - देवरिया ताल के लिए।
लगभग 2 किमी० सीधा खड़ा रास्ता है इस ताल के लिए। अँधेरे में हम निकले थे यहाँ के लिए उसके बाद तुंगनाथ ट्रैक का मन था। सारी पहुंचकर चाय और बंद-मक्खन, और 25 रूपये किराए पर स्टिक ! हाँ स्टिक बहुत जरूरी होती है ट्रैक के लिए। अपनी जवानी पर नाज़ करने के लिए स्टिक को अनदेखा न करें ट्रैक में सबसे ज्यादा जो आपका साथ देगी वो है स्टिक।
पिंडारी जैसे ट्रैक जिसने किये है उनके लिए 2 किमी० बाए हाथ का खेल जैसा है और गाँव में रहने वालो के लिए भी। शहर वालों का ये 'ट्रैक ' उनकी रोजमर्रा की ज़िन्दगी है। खैर मैं चला ही था कि तितलियाँ दिखने लगी और उन्हें देख मेरा फोन ! एक शगल है कि हर तितली की फोटो और वीडियो पास हो मेरे। शंकर सर और सुन्दर सर के साथ से चर्राया ये शौक अब मुझे बड़ा अज़ीज़ है। ख़ास बात हममें से सभी मैथमेटिक्स वाले हैं ! पर इनसे इतना लगाव है कि अच्छा खासा लैजर बना लिया है मैंने भी इनका !
लगभग 1 घंटा लगा होगा ऊपर चढ़ने में और सामने था देवरिया ताल (2348 मीटर ) . एक तरफ चिनार और दूसरी तरफ बाज़ के पेड़। सामने चौखम्भा -पर्वत। जिसे हम नवोदय में अपनी प्रार्थना में गाते आये है - चौखम्बा का उच्च शिखर... । बादल थे वरना लगभग 180 डिग्री पर आपको पर्वत ही दिखेंगे सामने।
ये ताल नंदादेवी बायोस्फेयर रिजर्व और केदारनाथ जीव अभ्यारण्य का हिस्सा है इसलिए रूपये 150 प्रति व्यक्ति शुल्क देना है जो लाज़िमी है क्योंकि मैंने केयरटेकर के कमरे में खाली बिसलरी और कोक की बोतलों का जो हुजूम देखा उसके लिए ये शुल्क लेकर कोई गुनाह नहीं कर रही सरकार ! और चस्पा भी है- परिसर में आग लगाना और टैंट लगाना वर्जित है।
कुछ फोटो लेने के बाद हम वापस लौटते है क्योंकि तुंगनाथ ट्रैक भी करना है। तेज़ क़दमों से नीचे उतरने के बाद लगभग 25 मिनट्स में हम सारी गाँव लौट गए थे। दुकान जहाँ बैग रखा था, वो भाई कहता है बड़े जल्दी आ गए आप लोग! मैंने कहा, "यार हम पहाड़ से ही हैं। रोज़ाना की आदत है ये तो। "
लगभग वहां से उस संकरी सड़क से लगभग 1 घंटा चलने पर हम पहुचंते है चोपता। बीच में घने जंगल ,शायद उससे घने जंगल आपने कहीं नहीं देखे होंगे सड़क के किनारे इसलिए रात का सफर उस रास्ते में हमेशा अवॉयड करें। पेड़ बांज ,बुरांश ,उतीस और देवदार के हैं और काफी घने है। चोपता खुद भी अच्छी खासी ऊंचाई पर है -2600 mts. तो खुद महसूस होता है हम बादलों के बीच है। गाड़ियां इतनी है की पूछो मत आपकी मोटरसाइकिल के लिए अगर थोड़ा जगह मिल जाए तो गनीमत है। छोटी-छोटी दुकानें ज्यादातर खाने और मंदिर के सामान की।
"भाई जी 60 रूपये का एक परांठा मिलेगा " एक होटल में घुसते ही दुकानदार ने जवाब दिया। ऐसी जगह पर आप अपने सफर में इतने मशगूल होते है कि पैसे की ज्यादा फ़िक्र नहीं करते और ये कीमत सच कहूं कुछ ज्यादा लगती भी नहीं क्योंकि उस परांठे को देखते ही आप सोचते है, मूड तो 2 का था पर एक खाकर सोचेंगे कि दूसरा मंगवाए या नहीं ! समय 10:30 हो रहा था। इसलिए झटपट खाकर ,सरपट निकलते हैं हम तुंगनाथ की ओर।
रास्ते पर ही मैं ढूंढता हूँ सबसे पहले किराये की स्टिक। 100 रुपये में दो और वापस आकर लौटने पर 60 रुपये वापस यानी 20 में एक ! सौदा मुफ़ीद है और इससे एक और अच्छी चीज होती है। एक तो लोग बेवजह पेड़ो की टहनियां तोड़ेंगे नहीं दूसरा मजबूती और सही साइज की स्टिक मिल जाती है। ये ट्रेंड हर जगह होना चाहिए। मुझे तो काफी पसंद आया। हम चढ़ाई शुरू करते हैं। ज्यादातर लोग पैदल हैं लेकिन लगभग 20 % घोड़ों पर और 2 % डोली पर।
रास्ता खड़ंजे का है ,खड़ंजा मतलब छोटे छोटे पत्थरों को लिटाकर रखने के बजाय खड़े करके रखना इससे घोड़ों और खच्चरों को चलने में काफी सहूलियत होती है इंसानों को भी! घुमावदार रास्तों से होते हुए हम आगे चले जा रहे थे। जानता था बिट्टू को आदत नहीं है चलने की तो मैं उससे बैग ले लेता हूँ ,जिसमे कुछ सामग्री है- पानी ,रेनकोट ,चॉकलेट ,पेनकिलर और वोलिनी स्प्रे। किसी भी ट्रैक में पेनकिलर और स्प्रे बहुत जरूरी है मैं ये अपने पिंडारी ट्रैक से सीखा। ज़िन्दगी अनुभवों का नाम है, हम चलते हैं ,गिरते है परेशान होते है फिर सीखकर चलते है आगे बढ़ते है...बढ़ते जाते है।बहुत सी बातें ज़हन में आ रही थी मेरे। कुछ दिनों पहले ब्रैड पिट की फिल्म Seven Years in Tibet का वो डायलॉग जब दलाई लामा (बचपन) हेनरिक, जो एक ऑस्ट्रियन क्लाइम्बर है उससे पूछते हैं कि तुम ऊपर चढ़ते वक़्त क्या महसूस करते हो तो हेनरिक जवाब देता है," मैं तब अपने सबसे करीब होता हूँ " कहने को ये बात बड़ी सरल मालूम होती है पर सच है अगर गौर करें तो। हम उस समय अपने सबसे करीब होते है अपने विचारों में ,जिनपर हम बहुत कम ध्यान देते हैं। इसलिए मैं अक्सर कहता हूँ ये सफ़र वो सफ़र होते है जो हमें अपने 'मैं' से मिलवाते है और उस दूसरे 'मैं' से दूर करते हैं।
ऐसे रास्तों की एक खूबी ये है कि पूरा हिन्दुस्तान आपको एक रास्ते पर चलता और उतरता दिखता है। सारे यात्री जिनमे 99. 99 % बंगाली है और बाकी 0.01 % और हैं (take it as a pj) लेकिन फिर भी यहाँ हर कोई बस हिंदुस्तानी हैं। बस हर कोई यही पूछता है आप कहाँ से है? जवाब - MP , UP, Bihar, Delhi Maharashtra और कैलकटा । अच्छा लगता है कोलकाता नहीं कहता कोई ! एक और अच्छी बात जो सुनने में लगती है हर किसी को "आप कहाँ से है " ये जानने में दिलचस्पी है न कि कुमाऊंनी -गढ़वाली लोगो की तरह "आप क्या हुए" जानने में !
करीब 1 किमी0 चढ़ने पर एक दुकान दिखती है सोचता हूँ सब लोग "मेनडकलोडक होटल वाली स्टिंग की बोतल" पी रहे है तो ट्राई किया जाय पर वो ट्राई मेरा पहला और आखिरी था। इससे अच्छा मैं हलवाई से गुलाब जामुन की चाशनी न ले लूँ ! एक बड़ी कमाल की चीज नज़र आयी कि खाली बोतल वापसी पर रूपये 10 वापस। बता दूँ ऐसी जगह पर आपको चीज वैसे ही थोड़ा ऊपर कीमत पर मिलती है। पर ये अच्छा इनिशिएटिव लगा मुझे प्रदूषण कम करने का।
रास्ते में चढ़ते हुए अचानक होंठो पर एक मुस्कान आयी इन साहब को देखकर ! हँसता हुआ चेहरा और सीने पर बंधे इनके सोते हुए साहबजादे। बीवी शायद पीछे होंगी। मैंने थोड़ा संकोच से कहा," बुरा न मानो तो आपकी एक फोटो ले सकता हूँ? " जवाब था -" ले लो आप पर ,मैं रुक तो नहीं पाऊंगा " कंधे पर न सही सीने पर ही औलाद का बोझ हो बाप के ,पर है तो सही... माँ के दिल में भले ही ज्यादा प्यार हो पर बाप के दिमाग में औलाद हमेशा रहती है। ख़ैर इनसे मिलकर आगे बढ़ता हूँ। बिट्टू काफी पीछे है मैं अकेला चला जाता हूँ। थोड़ा शायद एक व्यक्ति ने मेरी फोटो ले ली कैमरे में या फिर पीछे के पहाड़ और बादल कह नहीं सकता। तो मैंने कहा आपकी फोटो लेनी है? जवाब था नहीं। इतनी खूबसूरत जगह है मैं क्या करूँ अपनी फोटो लेकर !अचानक से सामने एक मोड़ के बाद दिखाई देता है तुंगनाथ मंदिर , पंच केदारों में एक केदार, जहाँ शिव के हाथो की पूजा होती है। एक कहानी है इसमें की जब पांडव महाभारत के युद्ध के बाद बाद भगवान शिव को सॉरी कहने पहुंचे तो शिव ने खुद को गायब कर लिया और खुद का पार्शियल फ्रैक्शन कर अलग अलग जगह पर चले गए। जहाँ जहाँ वो पांच भाग गए वही अब पंच केदार है।
तुंगनाथ मंदिर की एक फोटो लेने के बाद मैं आगे बढ़ जाता हूँ। बिट्टू पीछे पीछे आ रहा है। यहाँ से 1 किमी0 चंद्रशिला है। मैं तेजी से बढ़ता हूँ। और अचम्भा देखकर रुकता हूँ। एक जवान लड़का अपनी साइकिल के साथ ऊपर चढ़ रहा है। मैं सोचता हूँ ये अजीब बला है। आखिर तुक क्या है इसे ले जाने का ऊपर। पर जानकार दिल से निकलता है सैल्यूट जैसे सबका निकलता है उसे देखकर ! वो व्लॉगर है और हर जगह अपनी साइकिल साथ ले जाता है। यूट्यूब पर चैनल है - Bhandari ji MTB. एक दूसरे को देखकर हम कहते हैं -हैलो। अचानक वो कहते है अपना व्लॉगिंग कैमरा ऑन करके और मेरी और मोड़कर ," हैलो दोस्तों meet here Emiway Bantai" अब मेरे जैसे लोग जिन्हे हर तरह का म्यूजिक पसंद हो , के एल सहगल से लेकर जुबिन नौटियाल तक , Eminem से लेकर Matallica तक वो Emiway Bantai को न जाने ये कहाँ हो सकता है ! शायद व्लॉगर भाई ने मेरा हुलिया (हुड के साथ लोअर और दाढ़ी के साथ ऐनक और कैप ) देखकर कहा होगा ! पर तबसे उनके लिए मैं दीपक नहीं Emiway Bantai ही हूँ !
चंद्रशिला पर कुहरा इतना था कि विज़िबिलिटी आगे की काफी कम थी वरना यह इतनी ऊंचाई पर है कि यहाँ से नज़ारे काफी खूबसूरत होते है। लगभग उत्तराखंड के सभी पर्वत आपको एक साथ दिख सकते हैं। पर उस दिन अपनी किस्मत में तो ये नहीं था। खैर हम नीचे उतरना शुरू करते हैं।
नीचे उतरते वक़्त एक अपने जैसे ही एक आदमी ने एक घोड़े पर ऊपर चढ़ते आदमी को देखते हुए मुस्कुराते कहा," जन्नत की सवारी वो भी घोड़े पर !" मैंने जवाब दिया ," आखिर ये जहाँ तो कदमों के लिए हैं " बस एक हामी और मुस्कराहट और हम दोनों अपने अपने रास्ते।
मुस्कराहट एक ऐसी खूबी है जिससे आप किसी से भी सबसे जल्दी जुड़ जाते हैं। चाहे आप अंदर से कुछ भी हों। किसी भी अंदरूनी जिरह में,पर बाहर से आपकी मुस्कराहट हर किसी को जीत लेती हैं। बहुत कुछ खोकर भी आप जीत जाते है। बल्लीमारां वाले ग़ालिब ने कुछ सोचकर ही कहा होगा," कि हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन... दिल की खुशफहमी को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है !" इसलिए मुस्कुराते रहिये।
बहुत ही उम्दा लेखन कौशल। मन के उदगारों का लेखनी मै इतना सटीक मेल वाकई प्रशंसनीय हैं। Great to see this sir keep it up and spread love everywhere.😍😍😍😍
जवाब देंहटाएंWow writing emiway bantai bro❤️❤️ Choice of words❤️❤️❤️
जवाब देंहटाएंSir emiway bantai jase lag re app photo m
जवाब देंहटाएंSir ap ki bat hi khuch alg h aacha likha h apne likha huwa pd ke esa lg rha h ki mene v ghum liya
जवाब देंहटाएं😍🙏
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंकई खूबसूरत लेख सर,मानो जन्नत सामने हो ।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर दीपक भाई।
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