Still Your caste matters above everything

आपकी पहचान आज भी आपकी जाति से है ना कि, आपके कर्मों से, पेशे से या आपकी आर्थिक स्थिति से।जब भी सोचता हूँ इस बारे में लिखना छोड़ दूँ, कोई ना कोई वाक़या आस पास ऐसा हो ही जाता है कि रोहित वेमुला के वो शब्द मेरे ज़ेहन में फिर से ज़िंदा हो जाते है-"My birth was my mistake” मेरे एक करीबी रिश्तेदार का चयन एक बैंक में कुछ समय पहले हुआ, अपने प्रोबेशन पीरियड के बाद जब उसका तबादला बागेश्वर जैसे शहर में हुआ तो स्वाभाविक तौर पर उसने ख़ुद तो कमरे के लिये ढूँढना शुरू किया ही, मेरे परिचित हो सकते है इसलिए मुझसे भी इस काम में मदद करने को कहा।स्वाभाविक तौर पर मैंने अपने मित्रों से कमरा ढूँढने को कहा। नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात! किसी को इस बात से मतलब नहीं है कि वो आदमी एक शिक्षक है,बैंक मैनेजर है या कोई प्रशासनिक अधिकारी।बस जाति से मतलब है या यूँ कहूँ कि बस ‘surname’ से ।अगर surname में थोड़ा doubt हुआ तो सीधे पूछ लेते है-“आप क्या हुए?” और बस आपके वर्षों की मेहनत, आपके जीवन का struggle गया भाड़ में। एक निचली जाति(जो तुम्हारी वर्णव्यवस्था की देन है) क्या जानवरों से भी गई गुजरी है? आप अपने कुत्ते...