Higgs Boson: God Particle?
चित्र साभार: विकिपीडिया |
बहुत लोगों ने यह शब्द: गॉड पार्टिकल सुना होगा।अपने एक छात्र के अनुरोध पर इसके बारे में आसान भाषा में लिखने की ये कोशिश है।ऊपर दिया चार्ट स्टैण्डर्ड मॉडल ऑफ़ एलिमेंटरी पार्टिकल कहलाता है।यानी इनसे छोटे या मूलभूत कण नहीं हो सकते ब्रह्मांड में।इन्ही में से एक कण है -हिग्स बोसोन जिसे कोई गॉड पार्टिकल भी कहता है।
बीसवीं सदी की शुरुआत तक विज्ञान अच्छी ख़ासी प्रगति कर चुका था। भौतिक विज्ञान में भी इलेक्ट्रान खोजा जा चुका था और रदरफोर्ड के अल्फा कण प्रयोग से प्रोटॉन के अस्तित्व का पता चल गया था। और बाद में 1932 में चैडविक ने न्यूट्रॉन भी खोज लिया।उस दौर में यही हमारे लिए सबसे मूलभूत कण थे।यानि अगर आप काल्पनिक रूप से एक प्रोटॉन , इलेक्ट्रॉन या न्यूट्रॉन को किसी चाकू से काट देते तो आपको उसके भीतर कुछ नया नहीं मिलता।जैसे एक आम को कहीं पर से भी काटें आपको आम का रस ही उसके भीतर मिलेगा कुछ और नहीं। जबकि नमक-पानी के घोल को आप वाष्पीकरण से अलग करके…पानी और नमक अलग अलग प्राप्त कर लेते है।
परंतु वैज्ञानिक तो बाल की खाल उतारने वाले हुए, उन्हें चैन कहाँ ! कुछ ऐसी घटनायें थी जिनका सही उत्तर उस समय की भौतिकी( Classical Physics) सही सही नहीं दे पा रही थी। तो एक दूसरे की परिकल्पनाओं और थ्योरियों के आधार पर एक नया विज्ञान जन्मा जिसे कहा गया- Quantum Physics जो कि आज आप मार्वल की फ़िल्मों में ख़ूब सुनते है।
तो फिर सर मैक्स बोर्न, इरविन श्रोडिंगर , डिराक और पॉली जैसे वैज्ञानिकों ने बहुत छोटे कणों के व्यवहार को ठीक से समझने के लिए Quantum Theory ईज़ाद की, क्योंकि न्यूटन के दिये नियम सही से बहुत छोटे कणों की शरारतों को समझा नहीं पा रहे थे।Quantum Physics इस आधार पर टिकी थी कि एक तो पदार्थ कण और तरंग दोनों की तरह व्यवहार करता है।जैसे शक्तिमान में ,गंगाधर और शक्तिमान दोनों एक थे वैसे ही पदार्थ कभी कण तो कभी तरंग के जैसा व्यवहार करता है। दूसरा आधार यह कि आप किसी कण की स्थिति और वेग या चाल कह लें, दोनों शत प्रतिशत शुद्धता के साथ एक साथ नहीं माप पायेंगे। यह हाईजनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत कहलाता है।
समय के साथ हुई वैज्ञानिक प्रगति ने दिखाया कि छोटे कणों जैसे इलेक्ट्रान या प्रोटॉन के व्यवहार को Quantum Physics सही से समझा पा रही है।और इसी की बदौलत 1970 के दशक में पहले थ्योरी और बाद में प्रयोग से पता चला कि, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन भी ‘Quark’ नामक कणों से मिलकर बने है।परंतु इलक्ट्रॉन मूलभूत कण है। ऊपर चार्ट में आप देखेंगे कि Quark, 6 तरह के है। धीरे धीरे वैज्ञानिक उन्नति हुई और बहुत सारे अन्य कण भी मिलते रहे। पर मूलभूत कण वही है जो ऊपर चार्ट में दिखाए गए हैं।
हिग्स बोसोन यानि गॉड पार्टिकल तक आने के लिए ऊपर की रामकथा ज़रूरी थी।अब आते है अपने इस कण पर- Higgs Boson.
Boson असल में वो कण होते है जो प्रकृति में बलों का आदान प्रदान करते है। उदाहरण के लिए जब हम कहते है पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल है तो यह आकर्षण हो किस कारण रहा है? इसका उत्तर है ग्रेविटोन नामक एक कण जिसका आदान प्रदान लगातार सूर्य और पृथ्वी के बीच हो रहा है ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे कथाओं में एक राजकुमार और राजकुमारी के बीच प्रेम का आदान प्रदान एक कबूतर प्रेम पत्रों से कर रहा होता है।
प्रकृति में चार मूल बल है।सबसे कमजोर है गुरुत्वाकर्षण।होने को विज्ञान की पृष्ठभूमि से ना आने वालों को ये पढ़कर अचरज होगा। तो बिल्कुल ऐसे ही हिग्स बोसोन वो कण है जो बाक़ी कणों को द्रव्यमान (Mass) देता है। कल्पना करें एक गुड़ का टुकड़ा जिसका द्रव्यमान शून्य हो और उसे हम तिल के ढेर में फेंक दे! अब होगा ये कि तिल गुड़ से चिपक जाएगा और इस टुकड़े का द्रव्यमान या भार कह लें, बढ़ जाएगा क्योंकि उस गुड़ के साथ बहुत सारा तिल चिपक गया है। अब विज्ञान के हिसाब से समझे- जैसे कोई द्रव्यमान रहित कण हिग्स क्षेत्र से गुजरता है तो ये हिग्स बोसोन कण उसे द्रव्यमान दे देते हैं। और अब वो कण एक द्रव्यमान वाला कण बन जाता है।
जिस ‘गुड़’ में जितना तिल चिपकेगा वो उतना भारी हो जाएगा यानी जो कण जितना ज़्यादा हिग्स क्षेत्र से इंटरेक्शन करेगा उसका द्रव्यमान उतना ज़्यादा होगा! यहाँ तक कि ख़ुद हिग्स बोसोन का ख़ुद का द्रव्यमान भी इसी प्रक्रिया से आता है। साल 2012 में 4 जुलाई को यह कण CERN की लैब में खोजा गया। वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर इसे हिग्स बोसोन कहा गया था। इसका भार 125 billion electron Volt है। electron Volt ऊर्जा को नापने का पैमाना है, और अतिसूक्ष्म कणों का द्रव्यमान ऊर्जा के मानकों में मापा जाता है ( आइंस्टाइन का ऊर्जा-द्रव्यमान संबंध, m=E/C^2)
इसे गॉड पार्टिकल क्यों कहा गया? क्या इसका किसी भगवान या ईश्वर से कोई संबंध है ? नहीं। हुआ ये कि लियोन लेडरमैन ने झल्लाहट में इस कण को Goddamn particle कहा क्योंकि इसकी प्रक्रिया समझ नहीं आ रही थी। जब किताब छपने पब्लिशर के पास गई तो, पब्लिशर ने इसका नाम वहाँ गॉड पार्टिकल रख दिया! तब से मीडिया ने इसे इसी नाम से बुलाना शुरू कर दिया। अर्थात् किसी ईश्वर या धर्म से इसका कोई लेना देना नहीं है। बाक़ी बोसोन कणों की तरह यह भी एक Force carrying Particle है, जिसका काम है अन्य कणों को भार देना।
उम्मीद है, Higgs Boson की आधारभूत संकल्पना को मैं समझा पाया हूँगा। अन्य किसी विषय पर समझाने के लिए निःसंकोच कहा जा सकता है, अगर ये लेख आपकी समझ बढ़ाने में कारगर हुआ है तो।
बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख
जवाब देंहटाएं👍
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रोफेसर साहब ,कितने सरल शब्दो मे आपने इसको समझा दिया,
जवाब देंहटाएंऐसे ही लेख ओर भी लिखते रहिएगा
Great Sir!
जवाब देंहटाएंAesthetic significance is not only what the research taught us but the question, how much beautiful the science is. Higgs boson is just like a precious thread.
जवाब देंहटाएंInterpreted well.
Quark के 3 color भी हुए pauli exclusion principle को समझाने के लिए ,गजब का लेखन
जवाब देंहटाएं🙏🏻
जवाब देंहटाएंGreat explanation sir ji❤️
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