Totto Chan: A must read to every Teacher and Parents


 तेत्सुको कुरोयानोगी की आत्मकथा- तोत्तो चान।

एक बालिका की कहानी, जिसके शरारती  व्यवहार के कारण उसे पहली कक्षा में ही स्कूल से निकाल दिया गया!

हर शिक्षक जो सही मायनों में अपने छात्रों में वो सारे गुण डालना चाहता है जिनसे वे बच्चे केवल किताबी ना बने बल्कि सही मायनों में जीवन के हर क्षेत्र में, एक बेहतर इंसान बने तथा हर माँ बाप जो इस गफ़लत में है कि, केवल किसी भी मुहल्ले की ‘ऑक्सफ़ोर्ड या कैम्ब्रिज एकेडमियों’ में प्रवेश लेने भर से उनके बच्चे बेहतर बन जाएँगे; उन्हें ये किताब जरूर पढ़नी चाहिए।

ये कहानी है एक शिक्षा के प्रति समर्पित शिक्षक सोसाकु कोयाबाशी की और उनकी लीक से हटकर  शिक्षण पद्धतियों की।ये कहानी है एक शिक्षक की जिसने सही मायनों में कभी अपने बच्चे और अपने छात्रों में फ़र्क़ नहीं किया। ये कहानी है एक शिक्षक की जिसने हमेशा ख़याल रखा कि 'ताकाहाशी' जैसे छात्रों के लिए स्कूल में कैसी व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि हर बच्चा ख़ुद को दूसरों जितना ही सक्षम पाये।और अख़िरकार ये कहानी है, एक बच्ची की…जो अपने शिक्षक से किया वादा पूरा नहीं कर पायी।

बढ़ते बच्चों के व्यवहार को समझने के लिए अभिभावकों में समझ कैसी होनी चाहिए, ये हम तोत्तो चान की माँ से बख़ूबी समझ सकते हैं।बालमन कितना सरल और सुलभ होता है, और उसे समझने के लिए कैसा हौंसला चाहिए ये उस घटना से लक्षित होता है, जब लगातार चार घंटे तोत्तो चान को सुनने के बाद भी, कोयाबाशी कहते है, फिर क्या हुआ! 

स्कूल 'तोमोए' जो रेलगाड़ी के डब्बों में चलता था और जिसका गेट दो जीवित पेड़ थे।जहां पूरे दिन भर का करिकुलम तय था कि, आज दिन में क्या क्या पढ़ा जाएगा। आपको आज़ादी है आप जहां से शुरू करें। मन हो तो गणित पढ़े अथवा तालाब में तैरने चले जायें! ये सही मायनों में Student oriented  curriculum होता है, ना कि मन ना होने पर भी छात्र-छात्राओं को ज़बरदस्ती रटाया जाए।तोमोए में हर बच्चा अपने मन से पढ़ता था, ना कि किसी की भी ज़बरदस्ती से। खाने में 'कुछ पहाड़ और कुछ समुद्र से' ज़रूरी था…ना होने पर हेडमास्टर कोयाबाशी ख़ुद कमी को पूरा करते थे, वो भी रोज़। बच्चों को फ़र्श पर चाक से लिखवाकर उसे मिटवाना एक कमाल की चीज़ थी, ताकि बच्चे कहीं भी गंदा करने पर उसे साफ़ करने की फ़ज़ीहत को अपने व्यवहार में ढाले।


किताब का ये अंश मुझे बहुत पसंद आया।बच्चों के भीतर से डर कैसे ख़त्म किया जाता है इसका ये उम्दा उदाहरण है।हमारे देश में जहां भूत प्रेत, पहाड़ों में छल जैसी चीजें कितनी हावी है, और माँ बाप और समाज कैसे बच्चों के कोमल मन में बचपन से इन्हें कूट कूट कर भर देते  है, हम सब इससे भली भाँति वाक़िफ़ है।

ईनाम में बच्चों को कद्दू, लौकी , मूली देना ताकि उस दिन बच्चों के घरों में 'बच्चों का कमाया हुआ' भोजन बने, कितना नायाब विचार था।इसका अक्स हम कुछ कुछ गांधी जी की बुनियादी तालीम में देखते है।और मुझे इस स्कूल के बारे में पढ़कर कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम का ख़याल ताज़ा हो आया था, जिसका ज़िक्र मैंने तफ़सील से अपने Kausani के ब्लॉग में किया है, इसे नीचे के लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

Kausani: Lakshmi Ashram

'कपड़े इसलिए फट गये क्योंकि कुछ लोगों ने मुझपर छुरे फेंके' जैसे बहाने सुनकर हंसी भी आती है और बालमन की सुलभता भी! और माँ बाप की समझ भी। इस किताब को पढ़ने पर शायद हर माँ बाप की दिली ख्वाहिश होगी कि, काश उनके बच्चों को कोबायाशी जैसे शिक्षक मिलें और हर बच्चे को मलाल कि, उन्हें तोमोए जैसा स्कूल क्यों नहीं मिलता!

छपने के पहले ही वर्ष में जापान में जिस किताब के 35 लाख प्रिंट बिके और जिसे पढ़ने के बाद कक्षा दो के बच्चे से लेकर 103 साल के वृद्धों ने तक लेखिका को पत्र लिखे, उस किताब का मज़मून कैसा होगा सोचा जा सकता है।द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका में नष्ट हुआ ये स्कूल, दिखाता है कि कैसे युद्धों कि भयावहता के निशाने पर शिक्षा भी पहले दर्जे पर होती है।

अंत में एक फ़ेहरिस्त है, तोमोए के पढ़े बच्चों (alumni) की और मैं सरप्राइज था कि उसी स्कूल के विद्यार्थी ताई चान (Taiji Yamanouchi) ने एप्सिलॉन कण खोजा और अभी फ़र्मी नेशनल एक्सलेरेटर लैब में सहायक निदेशक है।और अभी तोत्तो चान कहाँ पर है? इसे जाने के लिए आप Tetsuko Kuroyanagi को google पर ढूँढ लीजिएगा, जानकर संतोष होगा।  

टिप्पणियाँ

  1. बेहद प्यारी समीक्षा इसे पढ़कर किताब पढ़ने की इच्छा जागृत हो उठी सर ♥️♥️

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  2. "बेहतरीन व्याख्या"

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  3. आपने इस बुक की सराहना करने के लिए बेहद विवेकपूर्ण शब्दों का उपयोग किया है। आपकी समीक्षा में किताब के अद्वितीय गुण, रचना, और कथा की महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकट किया गया है। आपने पाठकों को इस किताब के रूचिकर प्रकटित्व और श्रेष्ठता की ओर मोड़ दिया है, और इसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।

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