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जुलाई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Hard work always pay off!

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मेहनत का कोई पर्याय नहीं होता। मेहनत करनी है इससे ज़्यादा ये मायने रखता है कि मेहनत कब करनी है।बहुत गरीब और निरक्षर घरों से निकले दो युवा लड़कों की कहानी मैं आपको आज सुना रहा हूँ।दोनों को मैं निजी तौर पर  थोड़ा सा जानता हूँ।दोनों के गाँव ऐसी जगह हैं जहां पर आज भी सड़क नहीं पहुँची है।ज़िला मुख्यालय से दूरस्थ गाँवों के ये दो युवा अपने परिवारों की पहली पीढ़ी है, जो सरकारी नौकरी तक पहुँचे है।जब दोनों से मैं मिला था वर्ष 2012 में, उस समय मेरी तरह किराए पर मेरे बग़ल के कमरे पर आए और मौज मस्ती में ही दिखते थे पर उसके बाद जो उन्होंने अपने संघर्ष की दास्तान लिखी है, उसे मैं निजी तौर पर एक बड़ी उपलब्धि मानता हूँ।दोनों की कहानियाँ अपनी ज़ुबानी सुना रहा हूँ। 1.रवि रवि के पिता का देहांत बचपन में हो चुका था, वो बताया करता था कि उसे याद नहीं अपने पिता की, कि उनका चेहरा देखा हो।उस समय वो गुज़र चुके थे।बड़े भाई अपनी बारहवीं करने के बाद ही प्राइवेट नौकरी करने चले गये।रवि ने अपनी पढ़ाई गाँव के प्राइमरी स्कूल से शुरू की जो कि (प्राo विo पइयाँ) जो कि गाँव से 3-4 Kms दूर था।कक्षा दसवीं राoउo माo विo अमस्यार

जमी हुई झील और फूलों का संसार

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  रुद्रनाथ का अपना सफ़र पूरा करने के बाद हमारा अगला पड़ाव रहा जोशीमठ। हाँ वही अख़बारों की सुर्ख़ियों वाला जोशीमठ जहां धरती ने अपना सीना चीरकर जता दिया है अब इंसान और प्रकृति का मुक़ाबला आमने सामने हो चला है! जोशीमठ पहुँचते ही सड़क किनारे दिखने लगे टूटे या यूँ कहें बुलडोज़रों से ढहाए गए मकान और मिट्टी में ज़मींदोज़ ना जाने कितनो की भावनाएँ, ख़्वाब…यादें। जोशीमठ पहुँचने पर जब रात के ठिकाने की बात आयी तो प्रकाश और मुझे, दोनों को चाहिए था कोई सस्ता कमरा।ट्रेकरों को कोई आलीशान कमरे नहीं चाहिए रहने को बस सर ढकने को एक छत और पेट के लिए एक बिस्कुट का पैकेट भी काफ़ी होता है। इसलिए किसी ने जब किसी धर्मशाला का पता बताया तो हमने अपनी मोटरसाइकिल उस ओर दौड़ाई पर पता चला वो धर्मशाला अब बंद हो गई है।किसी ने शंकराचार्य मठ पता बताया, जब पहुँचे तो वहाँ के पुरोहित ने साफ़ मना कर दिया जबकि कमरों में ताले देख समझ आ गया था कि जगह तो है पर वो रहने के लिए देना नहीं चाहते। ख़ैर किराए पर अख़िरकार एक 1500-2000 का कमरा मिला जो वहाँ बाक़ी के मुक़ाबले सस्ता था।सुबह रुद्रनाथ से सगर तक वापसी का ट्रेक और फिर लगभग 60-70

Higgs Boson: God Particle?

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  चित्र साभार: विकिपीडिया बहुत लोगों ने यह शब्द: गॉड पार्टिकल सुना होगा।अपने एक छात्र के अनुरोध पर इसके बारे में आसान भाषा में लिखने की ये कोशिश है।ऊपर दिया चार्ट स्टैण्डर्ड मॉडल ऑफ़ एलिमेंटरी पार्टिकल कहलाता है।यानी इनसे छोटे या मूलभूत  कण नहीं हो सकते ब्रह्मांड में।इन्ही में से एक कण है -हिग्स बोसोन जिसे कोई गॉड पार्टिकल भी कहता है। बीसवीं सदी की शुरुआत तक विज्ञान अच्छी ख़ासी प्रगति कर चुका था। भौतिक विज्ञान में भी इलेक्ट्रान खोजा जा चुका था और रदरफोर्ड के अल्फा कण प्रयोग से  प्रोटॉन के अस्तित्व का पता चल गया था। और बाद में 1932 में चैडविक ने न्यूट्रॉन भी खोज लिया।उस दौर में यही हमारे लिए सबसे मूलभूत कण थे।यानि अगर आप काल्पनिक रूप से एक प्रोटॉन , इलेक्ट्रॉन या न्यूट्रॉन को किसी चाकू से काट देते तो आपको उसके भीतर कुछ नया नहीं मिलता।जैसे एक आम को कहीं पर से भी काटें आपको आम का रस ही उसके भीतर मिलेगा कुछ और नहीं। जबकि नमक-पानी के घोल को आप वाष्पीकरण से अलग करके…पानी और नमक अलग अलग प्राप्त कर लेते है।  परंतु वैज्ञानिक तो बाल की खाल उतारने वाले हुए, उन्हें चैन कहाँ ! कुछ ऐसी घटनायें थी जिन

Rudranath : The most difficult trek I ever faced.

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  इस यात्रा वृत्तांत की शुरुआत में डिस्क्लेमर दे दूँ कि ट्रेक का मतलब मेरे लिये प्रकृति के क़रीब होना और जैव विविधता से मुख़ातिब होना होता है, और क्योंकि रुद्रनाथ जैसे ट्रेक में अधिकांश लोग आस्थावश जाते है, पर मेरा धार्मिक स्थानों से दूर दूर तक कोई वास्ता है नहीं! इसलिए रुद्रनाथ ट्रेक में आपको धार्मिक जानकारी के इलावा सब मिलेगा। फिर वही कहानी फिर एक बार…प्लान था तीन दोस्तों का और गए केवल दो लोग; मैं और प्रकाश! मेरे द्वारा सबसे जलील किए जाने वाला सीधा और सरल दोस्त प्रकाश। अचानक पहली रात को तय होने के बाद मिलन स्थल तय हुआ- सिमली बैंड, प्रकाश को आना था भीमताल से मुझे जाना था गरुड़ से।बाइक में बोझा लादकर मैं घर से निकला ही था कि रास्ते में दिखा Yellow throated martin का जोड़ा।तत्काल कैमरे के कुछ असफल प्रयासों के बाद जब कोई ठीक तस्वीर ना निकली तो रवाना हुआ आगे को।ग्वालदम से आगे थोड़ा रुका तो गले में कैमरा टाँगे कोई तस्वीर लेना चाह रहा था, कोई नवीन जी नमूदार हुए।मुझे कोई देसी पर्यटक समझ हैलो कहने के बाद जब बताया मैं लोकल ही हूँ तो भाई ने भी ज़्यादा वैल्यू देने से परहेज़ कर लिया।काफ़ी बातचीत