मिथक:पूर्व और पश्चिम

picture :pinterest सोफी का संसार (जस्टिन गार्डर) जिसमे दर्शन को बेहद साधारण शब्दों में समझाने की कोशिश की गयी है, में तीसरा चैप्टर है- मिथक कथाएं। मिथक कथाएं बस कहानियां है जैसे हमें मेहनत का पाठ सिखाने के लिए ' कंकड़ और कौव्वे' की कहानी गढ़ी गयी है। ठीक इसी प्रकार विश्व की सभी सभ्यताओं में अलग अलग मिथक गढ़े गए इसलिए हमें अलग अलग सभ्यताओं के इन मिथकों में अलग अलग नायक देखने को मिलते हैं। हाँ सभी के गुण कार्यों में एक से है। इंसान के प्रारंभिक विकास में इंसान ने प्रकृति के अजूबों को देखा और इनके स्पष्टीकरण के लिए कोई वाज़िब तर्क न ढूंढ पाने पर उस समय इन्हे समझाने के लिए कहानियां गढ़ी जिनमे देवताओं और राक्षसों के द्वारा चीजें बैलेंस करने के बावत कहानियां लिखी गयीं। सोफी का संसार पढ़ते समय नॉर्डिक देशों की कहानियों का जिक्र है पर हमारे देश में भी यही सब देखने को मिलता है। "नॉर्वे में ईसाइयत के आने से पूर्व लोग विश्वास करते थे कि थॉर ( Marval की थॉर फ...