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अक्तूबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मिथक:पूर्व और पश्चिम

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  picture :pinterest     सोफी का संसार (जस्टिन गार्डर) जिसमे दर्शन को बेहद साधारण शब्दों में समझाने की कोशिश की गयी है, में तीसरा चैप्टर है- मिथक कथाएं।      मिथक कथाएं बस कहानियां है जैसे हमें मेहनत  का पाठ सिखाने  के लिए ' कंकड़ और कौव्वे' की कहानी गढ़ी गयी है। ठीक इसी प्रकार विश्व की सभी सभ्यताओं में अलग अलग मिथक गढ़े गए इसलिए हमें अलग अलग  सभ्यताओं के इन मिथकों में अलग अलग नायक देखने को मिलते हैं। हाँ सभी के गुण कार्यों में  एक से है।      इंसान के प्रारंभिक विकास में इंसान ने प्रकृति के अजूबों को देखा और इनके स्पष्टीकरण के लिए कोई वाज़िब तर्क न ढूंढ  पाने पर उस समय इन्हे समझाने के लिए कहानियां गढ़ी जिनमे देवताओं और राक्षसों के द्वारा चीजें बैलेंस करने के बावत कहानियां लिखी गयीं।        सोफी का संसार पढ़ते समय नॉर्डिक देशों की कहानियों का जिक्र है पर हमारे देश में भी यही सब देखने को मिलता है।      "नॉर्वे में ईसाइयत के आने से पूर्व लोग विश्वास करते थे कि थॉर ( Marval की थॉर फ...

Duishen:पहला अध्यापक ( A Review)

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 किर्गीज़ लेखक चिंगीज़ आइत्मातोव का लिखा 105 पन्नो  का लघु उपन्यास - दुइशेन  जिसका हिंदी तर्ज़ुमा है - पहला अध्यापक, जिसे पढ़कर लगता है कि हिंदी रूपांतरण में शीर्षक ज्यादा प्रभावी है। नॉवेल  को गार्गी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। अनुवाद भीष्म साहनी ने किया है।      उपन्यास में मुख्य किरदार में है -आल्तीनाई सुलैमानोव्ना जो कि एक  अकादमीशियन है , पर उसके यहाँ तक आने का सफ़र  और उसमे उसके पहले अध्यापक ,उस गाँव के पहले अध्यापक दुइशेन, और दोनों के कल और आज पर लिखा ये लघु उपन्यास अपने आप में एक मुकम्मल क़िताब  हैं।      कहानी की शुरुआत होती है , एक दौर के बाद अपने हमवतन लौटी  आल्तीनाई से ,जिसे उस गाँव के एक नए स्कूल के उद्घाटन के लिए बुलाया जाता है।बूढ़ा  दुइशेन जो कि आज गाँव का  सामूहिक डाकिया है और जिसके बारे में,"बड़ा कानून कायदे वाला आदमी है। अपना काम पूरा  करने पर ही किसी दूसरे काम में दिलचस्पी लेने वाला आदमी है। "  कुछ दिन बिता कर जाऊंगी सोचने वाली आल्तीनाई  जब अगले दिन लौटने के बाद एक पत्र लिखती है ,...

India at a trek!

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  तुंगनाथ - विश्व की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर।  चोपता में लिखे उस पट्ट  पर जानकारी के अनुसार 3680 मी० की ऊंचाई पर है ये मंदिर। बस इतनी ही बात पर एतबार है मुझे उस पट्ट  के बस इतने पर !     पांच प्रयागो में से एक रुद्रप्रयाग (अलकनंदा और मन्दाकिनी का संगम ) से केदारनाथ हाईवे 109  पर पड़ता है; रुद्रप्रयाग से लगभग 40 किमी०  कुण्ड जहाँ से आप राजमार्ग को छोड़ दें तो दायी और है उखीमठ -चोपता मार्ग। बस आपको इसी पर जाना है,आगे उखीमठ उससे थोड़ा आगे से बायीं और सारी गाँव जहाँ से शुरू होता है रास्ता  - देवरिया ताल के लिए।      लगभग 2  किमी० सीधा खड़ा रास्ता है इस ताल के लिए।  अँधेरे में हम निकले थे यहाँ के लिए उसके बाद तुंगनाथ ट्रैक  का मन था। सारी पहुंचकर चाय और बंद-मक्खन, और 25 रूपये  किराए पर स्टिक ! हाँ स्टिक बहुत जरूरी होती है ट्रैक  के लिए। अपनी जवानी पर नाज़ करने के लिए स्टिक को अनदेखा न करें ट्रैक  में सबसे ज्यादा जो आपका साथ देगी वो है स्टिक।     पिंडारी जैसे ट्रैक  जिसने किये है उनके...

आख़िर क्यों चुनते वो अपना पारम्परिक पेशा ?

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  pic : pinterest  आज दिनांक 12  अक्टूबर 2022  को अमर उजाला में एक लेख प्रकाशित हुआ -' कुमाऊनी  वाद्ययंत्रों पर मंडरा रहे संकट के बादल ' जिसमे यह बात कही गयी है कि ,"पिछले एक दशक में वाद्ययंत्रों  को बनाने वाले कारीगरों की संख्या में काफी कमी आयी है इसकी ख़ास वजह नयी पीढ़ी का इस ओर ख़ास रूचि नहीं लेना और बदलते दौर में लोगो का इन यंत्रों को कोई तवज्जो नहीं देना है " इस लेख को पढ़कर कुछ था मन में जो कौंध सा गया।      आपने, इन वाद्य यंत्रों को बनाने वाले कारीगर तो छोड़िये बजाने वाले लोगो की स्थिति पर ध्यान दिया है? उनके जीवन स्तर, शिक्षा और वेशभूषा पर? क्या आपको वो उतना ही सामान्य लगता है जितना कि एक आम मध्यमवर्गीय नागरिक  और उसका  जीवन स्तर !  आखिर क्या कारण है इस दयनीय स्थिति  का ? और ऊपर जो अखबार को इतनी फ़िक्र है क्या अख़बारों ने कभी उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करने की कोशिश की? हाँ उनके 'जीवन' पर कई लाखो के प्रोजेक्ट और पीएचडी की डिग्री के लिए थीसिस अनवरत लिखी जा रही होंगी पर क्या कुछ बदला है? क्या समाज उन्ह...

The Road Not Taken Often- NH 107B

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  NH -107 B यानी जोशीमठ से मलारी-गमशाली-नीती का राजमार्ग ! जन्नत का रास्ता कह दूँ? उम्मीद से कहीं बेहतर था ये। वो होता है न कि  कभी खूबसूरती बताने के लिए आपके पास शब्द न हो, मेरे पास भी नहीं हैं निःशब्द हूँ! वो क्या कहते है आपकी अंग्रेजी में Speechless.      Robert  Frost  की कविता  The Road Not Taken, पता नहीं क्या सोचकर लिखी होगी उन्होंने पर ये बात NH -107 B के लिए भी लफ्ज़ दर लफ्ज़ एकदम फिट बैठती है। हर कोई जो जोशीमठ जाए उसकी डिफ़ॉल्ट चॉइस है- बद्रीनाथ फिर माणा और वो 'भारत की चाय की आखिरी दुकान ' पर  NH -107 B से लोगो को कुछ गुरेज़ सा है।  उसका कारण है - धर्म का चुम्बक जो  हर दूसरी चीज़ से ज्यादा भारी है और आप मेरी बात से इंकार नहीं कर पाएंगे सोच कर देख लीजिये जहाँ कोई भी धार्मिक स्थान हो आप वहां किस दूसरी जगह को तवज्जो देते है?      जोशीमठ से 62  Kms   मलारी हाँ वही मलारी जहाँ 5.2 Kgs  का सोने का मुकुट मिला था बल! जो हमने परीक्षा वाणी में पढ़ा और 85 Kms  दूर नीती। वैसे जब सुबह अपने होटल से बाहर...

आसान भाषा में भौतिकी का नोबेल-2022

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     आख़िरकार आज भौतिकी के लिये भी नोबेल पुरुस्कार की घोषणा हुई तो भौतिकी का छात्र होने के नाते कोशिश करूँगा की आसान भाषा में इस पर दो आँखर लिखने की जुर्रत करूँ।     रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉजर और एंटोन ज़िलिंगर को क्वांटम भौतिकी में उनके एंटेंगल्ड फोटोन पर प्रयोग द्वारा बेल इनेक्वालिटीज़ के उल्लंघन के लिये दिया जायेगा।      क्वांटम भौतिकी अतिसूक्ष्म स्तर पर कण कैसे व्यवहार करते है इसको समझने का गणितीय तरीक़ा है।इसका कारण है कक्षा 11 में पढ़ायी जाने वाली ‘ हाइजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत’ जिसके अनुसार आप किसी कण की स्थिति एवम् संवेग( द्रव्यमान गुणा वेग) को एक साथ शत प्रतिशत दक्षता के साथ ज्ञात नहीं कर सकते उसमे कुछ निश्चित अनिश्चितता रहेगी ही।इस अनिश्चितता का कारण है कणों की द्वैत प्रकृति( dual nature) I         Quantum Entanglement मैं अगर समझा पाऊँ तो इसका अर्थ हुआ कि दूरी पर मौजूद कण भी एक दूसरे को प्रभावित करेंगे और अन्य भौतिक गुणों को भी।आइंस्टाइन ने इसे तब spooky action at a distance ...

मानव विज्ञान में नोबेल 2022 :क्या हम तार्किक बनेंगे ?

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  आज मानव विज्ञान में नोबेल पुरूस्कार 2022 की घोषणा हुई जिसमे  Svante Paabo को मानव विकास के क्रम में विलुप्त हो चुके निएंडरथल मानव के जीनोम सीक्वेंस को तैयार करने के लिए नोबेल पुरूस्कार दिया जाएगा। जीनोम यानी किसी भी कोशिका के अंदर मौजूद जीन्स का समूह या सेट। 1856  में पहले निएंडरथल मानव जीवाश्म की खोज हुई। यह नाम जियोलॉजिस्ट विलियम किंग द्वारा सुझाया गया था, जिसे जर्मनी की निएंडर घाटी में फेल्डहोफर  गुफा में पाया गया था।  इस तरह का पहला जीवाश्म था यह जो होमो सेपियन्स से अलग था। लगभग ऐसे सभी फॉसिल्स हमें यूरोप से प्राप्त होते है। निएंडरथल मानव  के सभी गुण लगभग वही है जो हम इतिहास की अपनी प्रारंभिक किताबों में आदिमानव के बारे में पढ़ते आये है , गुफा में रहना , शिकार या ढूंढ के खाना इत्यादि।      मुझे कुछ एक दो वर्ष पहले अमर उजाला में छपे राजेंद्र यादव के एक लेख का स्मरण हो आया मानव विकास में मिले आज के इस नोबेल को देखकर। उन्होंने अपने लेख में सम्पूर्ण विश्व के लिए तीन महान योगदानो और उनसे सम्बंधित व्यक्तियों का ज़िक्र किया था जिसमे - चार्ल...